आजकल सोशल मीडिया पर इंडियन फैमिली ब्लॉगिंग चैनल्स की बाढ़ आ चुकी है। एक तरफ ये चैनल्स फैमिली-फ्रेंडली कंटेंट देने का दावा करते हैं, वहीं कई बार इन चैनल्स में अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे संकेत या मेटाफोरिक डबल मीनिंग होते हैं, जो कि एक हेल्दी कंटेंट की जगह ज्यादा व्यूज और सब्सक्राइबर्स के लिए बनाए जाते हैं।
कुछ चैनल्स का कंटेंट “cute bhabhi smile” या “winter fishing” जैसे टाइटल्स से सजाया जाता है। लेकिन ये चैनल्स एक हद से आगे जाकर व्यूज पाने के लिए फैमिली वैल्यूज की आड़ में ऐसे थंबनेल और टाइटल्स का उपयोग करते हैं, जो कहीं न कहीं एक संवेदनशील सीमा को पार कर देते हैं।
हाल ही में, कुछ लोकप्रिय फैमिली चैनल्स ने अपने बच्चों को मनोरंजन के नाम पर चैलेंज्स दिए, जो मानसिक और शारीरिक परेशानियों का कारण बने। यहाँ तक कि कुछ पैरेंट्स पर मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगे और उनके चैनल्स को YouTube ने बैन तक कर दिया।
इसके अलावा, सोशल मीडिया पर फेक फैमिली और फेक रिलेशनशिप्स की बाढ़ सी आ गई है, जहां कपल्स का रिलेशनशिप केवल ऑडियंस को आकर्षित करने और ब्रांड्स के साथ कॉन्ट्रैक्ट्स पाने का एक साधन बन गया है।
इसी तरह, एक साइकॉलजिकल एक्सपेरिमेंट भी सामने आया है जो बताता है कि ये डेली व्लॉग्स लोगों को एक “डोपामिन हिट” की तरह अट्रैक्ट करते हैं। यूट्यूब पर फैमिली ब्लॉगिंग चैनल्स का यह ट्रेंड सोशल मीडिया की addiction cycle को और तेज कर रहा है। लोगों को इन चैनल्स के पर्सनल लाइफ के झलकियों में इस कदर डुबो दिया जाता है कि उनकी असल जिंदगी के इमोशंस भी इन्हीं व्लॉग्स से प्रभावित होने लगते हैं।
इस बढ़ती समस्या पर आपकी क्या राय है? क्या आपने भी ऐसे फैमिली ब्लॉग्स देखे हैं जिनमें असली पारिवारिक मूल्यों की जगह, व्यूज और फेम पाने के लिए कंटेंट को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया हो? अपने विचार कमेंट्स में ज़रूर बताएं।