Sheikh Hasina Extradition: भारत और बांग्लादेश के बीच एक बड़ा राजनैतिक फैसला?

Sheikh Hasina Extradition का मामला इन दिनों भारत और बांग्लादेश के बीच एक बड़ा मुद्दा बन गया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने औपचारिक रूप से भारत को नोट वर्बल (diplomatic note) भेजकर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की प्रत्यर्पण की मांग की है। यह मामला न केवल दोनों देशों के बीच के राजनैतिक संबंधों को प्रभावित करेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है।

क्या है मामला?

शेख हसीना, जो बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री हैं, पर 51 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से 42 हत्या के मामले हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उन पर छात्र आंदोलन के दौरान हुए कथित नरसंहार का आरोप लगाया है। यह आंदोलन उनके 15 साल लंबे शासन के खिलाफ हुआ था, जिसने उन्हें 2024 में सत्ता छोड़ने पर मजबूर कर दिया।

जुलाई और अगस्त 2024 में हुए इन छात्र आंदोलनों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी, जिसमें कई लोगों की जान गई। इसके बाद शेख हसीना ने भारत में शरण ली। अब, बांग्लादेश सरकार ने उन्हें वापस बुलाने और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।

भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि

भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में एक प्रत्यर्पण संधि (extradition treaty) पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसे 2016 में संशोधित किया गया। इस संधि के तहत, यदि किसी अपराध को राजनीतिक माना जाता है, तो उस मामले में प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। लेकिन हत्या जैसे अपराधों को “राजनीतिक अपराध” नहीं माना जाता है।

हालांकि, संधि में यह भी प्रावधान है कि यदि यह सिद्ध हो कि आरोप न्यायिक प्रक्रिया के हित में नहीं हैं या “सद्भावना” में नहीं लगाए गए हैं, तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है।

बांग्लादेश सरकार का रुख

बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी सरकार उन सभी लोगों को न्याय के कटघरे में लाएगी, जिनका संबंध छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) के प्रमुख अभियोजक करीम खान से भी इस मुद्दे पर चर्चा की है।

नए नियुक्त अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (ICT) के मुख्य अभियोजक, एमडी ताजुल इस्लाम ने बताया कि सरकार जल्द ही ICT में शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट के लिए आवेदन करेगी।

भारत का जवाब

भारतीय विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि उन्हें बांग्लादेश की तरफ से Sheikh Hasina Extradition को लेकर औपचारिक नोट मिला है। हालांकि, भारत ने फिलहाल इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

यह स्थिति भारत के लिए संवेदनशील है, क्योंकि शेख हसीना का भारत के साथ लंबे समय से मजबूत रिश्ता रहा है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान भारत-बांग्लादेश संबंधों को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे।

क्या होगा प्रत्यर्पण में रोड़ा?

शेख हसीना का मामला बेहद जटिल है। एक तरफ, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का कहना है कि हसीना को छात्र आंदोलन के दौरान हुए “नरसंहार” के लिए जवाब देना होगा। दूसरी ओर, उनके समर्थकों का दावा है कि ये आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं।

अगर भारत शेख हसीना को प्रत्यर्पित करता है, तो इससे बांग्लादेश में हसीना समर्थक गुटों में नाराजगी बढ़ सकती है। वहीं, अगर भारत इस अनुरोध को ठुकरा देता है, तो बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ संबंध खराब होने का खतरा है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें

इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी नजरें टिकी हुई हैं। भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए यह मामला घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी छवि को प्रभावित कर सकता है।

भारत के लिए क्या है दांव?

भारत के लिए यह एक कूटनीतिक चुनौती है। एक तरफ, उसे बांग्लादेश के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने हैं, वहीं दूसरी तरफ, शेख हसीना के प्रति उसके पुराने समर्थन और उनके योगदान को भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।

निष्कर्ष

Sheikh Hasina Extradition का मामला केवल कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक संबंधों की परीक्षा है। भारत के लिए यह निर्णय आसान नहीं होगा।

यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस संवेदनशील मामले में क्या रुख अपनाता है। क्या भारत बांग्लादेश की सरकार के अनुरोध को स्वीकार करेगा, या शेख हसीना को राजनीतिक शरण देकर अपने पुराने रिश्ते का सम्मान करेगा?

इस मामले का हल दोनों देशों के भविष्य के संबंधों पर गहरा प्रभाव डालेगा।


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