हाल ही में, चर्च ऑफ इंग्लैंड (Church of England) के प्रमुख और Archbishop Of Canterbury Justin Welby का इस्तीफा: चर्च ऑफ इंग्लैंड पर यौन शोषण का गंभीर आरोप” (Justin Welby) ने इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा एक चौंकाने वाले रिपोर्ट के बाद आया है, जिसमें दावा किया गया है कि चर्च के भीतर यौन शोषण की घटनाओं को नज़रअंदाज़ किया गया। रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि एक प्रमुख क्रिश्चियन यूथ कैंप (Christian Youth Camp) के दौरान सैकड़ों लड़कों और युवा पुरुषों का शोषण हुआ। वेल्बी ने इस्तीफा देते समय एक भावुक बयान में पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और इस घटना पर गहरा दुख जताया।
Archbishop Of Canterbury Justin Welby का बयान
Archbishop Of Canterbury Justin Welby ने अपने बयान में कहा कि वह पीड़ितों के दर्द और उनके संघर्ष को समझते हैं और उनके प्रति पूरी संवेदना रखते हैं। उन्होंने कहा, “मैं इस पद से दुखी होकर इस्तीफा दे रहा हूँ, और सभी पीड़ितों के साथ खड़ा हूँ।” वेल्बी पर काफी समय से इस्तीफा देने का दबाव बन रहा था, विशेषकर जब पिछले हफ्ते आई एक स्वतंत्र रिपोर्ट में इस मामले का खुलासा हुआ। रिपोर्ट में यह बताया गया कि एक वकील, जॉन एसएमआई (John SMI), जो क्रिश्चियन यूथ कैंप के लिए एक चैरिटी की अगुवाई कर रहे थे, ने 40 साल के दौरान सैकड़ों लड़कों और युवकों के साथ अमानवीय और क्रूर व्यवहार किया और उनका यौन शोषण किया।
यौन शोषण का विस्तार और दर्दनाक दास्तान
यह रिपोर्ट बताती है कि 1970 और 1980 के दशक में जॉन एसएमआई ने समर कैंप (Summer Camp) में भाग लेने वाले लड़कों को अपना शिकार बनाया। उनके द्वारा किए गए शोषण में न केवल यौन दुर्व्यवहार बल्कि शारीरिक प्रताड़ना भी शामिल थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 1984 में जॉन एसएमआई अफ्रीका चले गए और उन्होंने वहां भी अपना शोषण जारी रखा। 2018 में उनकी मृत्यु से पहले तक उनका यह अमानवीय कृत्य जारी रहा।
चर्च ऑफ इंग्लैंड की चुप्पी और उसकी जिम्मेदारी
रिपोर्ट के अनुसार, चर्च के उच्च अधिकारियों को इन घटनाओं के बारे में जानकारी थी, लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। 2013 में वेल्बी ने कहा था कि उन्हें इन घटनाओं की कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन रिपोर्ट का कहना है कि ऐसा होना असंभव था। अगर 2013 में ही पुलिस में इस मामले की रिपोर्ट की जाती तो जॉन एसएमआई के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती थी और शायद वे अपने कृत्यों के लिए सजा भी भुगतते।
चर्च ऑफ इंग्लैंड और इसके प्रभाव का विस्तार
चर्च ऑफ इंग्लैंड का प्रभाव केवल इंग्लैंड तक ही सीमित नहीं है। कैंटरबरी के आर्चबिशप दुनिया भर के 85 मिलियन से अधिक एंग्लिकन अनुयायियों के आध्यात्मिक नेता होते हैं। विशेष रूप से अफ्रीकी देशों जैसे युगांडा और नाइजीरिया में एंग्लिकन चर्च का गहरा प्रभाव है। हाल के वर्षों में, वेल्बी को कई सामाजिक और धार्मिक मुद्दों का सामना करना पड़ा, जिनमें समलैंगिक अधिकार (Homosexual Rights) और महिला पुरोहितों (Female Clerics) की भूमिका जैसे संवेदनशील मुद्दे शामिल हैं। पिछले वर्ष, कई अफ्रीकी एंग्लिकन चर्चों ने वेल्बी पर विश्वास खोने की बात कही थी, और उनका इस्तीफा इन चर्चों द्वारा स्वागत योग्य माना जा सकता है।
यौन शोषण पर चर्च की प्रतिक्रिया और भविष्य की चुनौतियाँ
चर्च ऑफ इंग्लैंड को अब अपने आंतरिक ढांचे में सुधार की आवश्यकता है ताकि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके। संस्थान पर भरोसा बहाल करने के लिए जरूरी है कि वह न केवल जिम्मेदारी स्वीकार करे बल्कि भविष्य में सुधार के लिए कदम भी उठाए। यह मामला यह भी दर्शाता है कि धार्मिक और सामाजिक संगठनों को अपने नेताओं की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियम बनाने की जरूरत है, ताकि कोई भी अपने पद का दुरुपयोग न कर सके।
निष्कर्ष
Archbishop Of Canterbury Justin Welby का इस्तीफा चर्च के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह न केवल एक नेतृत्व परिवर्तन का प्रतीक है, बल्कि यह उन सभी पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में एक छोटा सा कदम भी है जो वर्षों से इस दर्द को झेल रहे थे। यह घटना समाज को यह संदेश देती है कि धार्मिक संस्थानों को भी न्याय और जवाबदेही के प्रति गंभीरता से विचार करना चाहिए।