भारत में 70 और 80 के दशक में, जब सड़कों पर बुलेट और स्कूटर जैसी बड़ी गाड़ियां नजर आती थीं, तब राजदूत जैसी गाड़ी ने अपनी एक अलग पहचान बनाई। वह गाड़ी थी राजदूत, और इसके पीछे एक ऐसा व्यक्ति था जिसने आम आदमी के सपनों को साकार किया। वह शख्स थे राजन नंदा। राजन नंदा का नाम आज भी उन सभी लोगों के बीच सम्मान से लिया जाता है जिन्होंने भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में क्रांति ला दी। उनके योगदान से ही राजदूत और RD350 जैसी गाड़ियां भारतीय बाजार में उतरीं, जो आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं।
राजन नंदा का जीवन भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के विकास की कहानी है। जब भारत में बुलेट का शोर और स्कूटर का चलन था, तब उनके पिता ने एक बड़ा कदम उठाया। उन्होंने एक पुलिस कंपनी के साथ मिलकर राजदूत को भारतीय सड़कों पर उतारा। राजदूत की शुरुआत ने एक नई क्रांति की शुरुआत की। यह वह समय था जब आम आदमी, जो न बुलेट अफोर्ड कर सकते थे, न स्कूटर खरीद सकते थे, उन्होंने राजदूत को अपनी पहचान बनाई। यह गाड़ी उन लोगों के लिए थी, जो कुछ अलग करने की सोच रखते थे।
राजन नंदा का व्यवसाय एस्कॉर्ट्स ग्रुप एक तरह से उन लोगों का ग्रुप था, जो सफलता के नए मुकाम हासिल करना चाहते थे। राजदूत की 175 CC इंजन क्षमता और 50 के आस-पास माइलेज देने वाली गाड़ी भारतीय बाजार में अपनी जगह बनाने में सफल रही। राजन नंदा ने केवल राजदूत ही नहीं, बल्कि यामाहा RD350 जैसी स्पोर्ट्स बाइक भी भारतीय बाजार में उतारी। यामाहा के इस मॉडल ने भारत में स्पोर्ट्स बाइक की एक नई परिभाषा दी। RD350 की कीमत आज भी पुराने बाजार में लाखों रुपये में बिकती है। यह भारत की पहली स्पोर्ट्स बाइक थी, और यह भारतीय युवाओं के बीच एक सपना बन गई थी। आज भी यदि आप RD350 को चलते हुए देखें तो आपको समझ में आता है कि वह आज भी एक स्पोर्ट्स बाइक की तरह ही तेज़ और दमदार है।
राजन नंदा का बॉलिवुड से भी गहरा संबंध था। वे राज कपूर के दामाद थे और अमिताभ बच्चन के साले भी थे। हालांकि उनका बॉलिवुड से कोई खास संबंध नहीं था, लेकिन एक बार उन्होंने बॉलिवुड के लिए एक बड़ा कदम उठाया। उन्होंने राजदूत GTS को मार्केट में पेश किया और ऋषि कपूर को इसके साथ प्रचारित किया। ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया की जोड़ी ने इस गाड़ी को पर्दे पर उतारा और इस गाड़ी ने एक नई पहचान बनाई। राजदूत की लोकप्रियता में इज़ाफा हुआ और यह गाड़ी भारतीय फिल्म प्रेमियों के बीच खास बन गई। इसके बाद, इस गाड़ी को अब “बॉबी” के नाम से जाना जाने लगा, जो फिल्म के मुख्य पात्र की गाड़ी थी।
राजन नंदा का एस्कॉर्ट्स ग्रुप एक बड़ा नाम बन चुका था, लेकिन समय के साथ यामाहा, कावासाकी, और हिरोहोंडा जैसी बड़ी कंपनियों के आगमन के कारण राजदूत का नाम पीछे छूटने लगा। इन कंपनियों की बाइक और गाड़ियां ज्यादा आधुनिक और बेहतर फीचर्स वाली थीं, जिससे राजदूत धीरे-धीरे पुरानी हो गई। हालांकि, एस्कॉर्ट्स ग्रुप के ट्रैक्टरों ने बाजार में अपनी पकड़ बनाए रखी, लेकिन राजदूत अब इतिहास बन चुकी थी।
आज भी एस्कॉर्ट्स के क्रेन्स और कंस्ट्रक्शन उपकरण भारतीय निर्माण क्षेत्रों में दिखाई देते हैं, लेकिन राजदूत का नाम अब केवल यादों में ही रह गया है। राजन नंदा का योगदान भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में हमेशा याद किया जाएगा। उनके द्वारा पेश की गई गाड़ियां और उनकी सोच ने भारतीय बाजार में बड़े बदलाव किए। हालांकि, समय के साथ राजदूत और RD350 जैसी गाड़ियां पीछे छूट गईं, लेकिन इन गाड़ियों ने एक पूरी पीढ़ी को प्रभावित किया।
राजन नंदा का निधन 2018 में हुआ। उनकी मौत की खबर ने सभी को चौंका दिया। उनका निधन अचानक हुआ और यह खबर पहले अमिताभ बच्चन द्वारा दी गई। जब अमिताभ बच्चन ने शॉट्स रोक दिए और शूटिंग बंद की, तो उनकी मौत की खबर सामने आई। यह खबर सभी के लिए शॉकिंग थी, क्योंकि वह एक ऐसा शख्स थे जिन्होंने आम आदमी के सपनों को हकीकत में बदल दिया।
राजन नंदा जैसे लोग भारतीय बाजार के लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत रहेंगे। उनका नाम हमेशा उन लोगों के बीच सम्मान से लिया जाएगा, जिन्होंने अपनी मेहनत और सोच से भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में बदलाव लाया। उनके योगदान को भारतीय इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।