जब श्रीदेवी की ‘खोई हुई बहन’ का Truth सामने आया: 1 अप्रैल की सबसे Big Trick

बॉलीवुड की दुनिया में 90 के दशक का दौर ग्लैमर, विवाद, और चर्चाओं से भरा हुआ था। हर मीडिया प्लेटफॉर्म अपने आप को सबसे आगे दिखाने की होड़ में लगा रहता था। ऐसी ही एक घटना ने उस समय पूरे देश को चौंका दिया जब श्रीदेवी की ‘खोई हुई बहन’ की खबर सुर्खियों में आई।

यह किस्सा शुरू हुआ मशहूर फिल्मी पत्रिका सिने ब्लिट्स से। पत्रिका ने अपने एक अंक में एक महिला की तस्वीर छापी और दावा किया कि यह महिला श्रीदेवी की बहन है, जो बचपन में उनसे बिछड़ गई थी। तस्वीर के साथ यह कहानी इतनी दमदार तरीके से पेश की गई कि लोगों ने इसे सच मान लिया।

कैसे फैली अफवाह?

जैसे ही यह खबर बाहर आई, फिल्म इंडस्ट्री और आम जनता में खलबली मच गई। लोगों ने श्रीदेवी की बहन के बारे में पूछताछ शुरू कर दी। हर जगह फोन घनघनाने लगे, और यहां तक कि कुछ लोगों ने इस ‘खोई हुई बहन’ को शादी के प्रस्ताव तक भेज दिए।

श्रीदेवी का परिवार भी इस खबर से परेशान हो गया। घर में हर कोई सोच में पड़ गया कि क्या सच में ऐसा कुछ हुआ था? लेकिन खुद श्रीदेवी इस मामले पर पूरी तरह चुप थीं।

सच्चाई का खुलासा

श्रीदेवी

जब यह मामला और तूल पकड़ने लगा, तब आखिरकार सच्चाई सामने आई। दरअसल, जिस महिला को श्रीदेवी की बहन बताया जा रहा था, वह कोई और नहीं बल्कि मशहूर अभिनेता अनुपम खेर थे।

यह सुनकर हर कोई चौंक गया। हां, सही पढ़ा आपने! अनुपम खेर को प्रसिद्ध फोटोग्राफर गौतम राजाध्यक्ष और मेकअप आर्टिस्ट मिकी कॉन्ट्रैक्टर ने श्रीदेवी का रूप दिया था। उनका मेकअप और लुक इतना प्रभावशाली था कि वह हूबहू श्रीदेवी की तरह दिख रहे थे।

एक अप्रैल का मजाक

यह पूरी योजना एक अप्रैल के दिन भारत को मूर्ख बनाने के लिए बनाई गई थी। इस मजाक की योजना केवल कुछ चुनिंदा लोगों को ही पता थी, जिनमें श्रीदेवी, गौतम राजाध्यक्ष और मिकी कॉन्ट्रैक्टर शामिल थे।

सिने ब्लिट्स ने इस खबर को गुप्त रखा और इसे इतने सटीक तरीके से प्रस्तुत किया कि पूरा भारत इस झांसे में आ गया। लोग हैरान थे कि अनुपम खेर को इतनी खूबसूरती से श्रीदेवी जैसा बनाया गया।

लोगों की प्रतिक्रियाएं

जब सच्चाई सामने आई, तो लोगों की प्रतिक्रियाएं मिलीजुली थीं। कुछ लोग हंसी-मजाक में इसे बेहतरीन मजाक मान रहे थे, जबकि कुछ को लगा कि यह एक गैरजरूरी और बेवजह की अफवाह थी।

हालांकि, इस घटना ने यह तो साबित कर दिया कि भारत में लोग किस तरह अफवाहों पर विश्वास कर लेते हैं। चाहे वह सस्ते मोबाइल फोन की स्कीम हो या जादुई इलाज के दावे, लोग अक्सर फर्जी खबरों के शिकार बन जाते हैं।

श्रीदेवी और अनुपम खेर का दोस्ताना रिश्ता

इस मजाक के पीछे की एक खास बात यह भी थी कि श्रीदेवी और अनुपम खेर के बीच गहरी दोस्ती थी। यह मजाक उनके आपसी विश्वास और हल्के-फुल्के अंदाज को भी दर्शाता है।

क्या सिखाता है यह किस्सा?

यह किस्सा एक मजेदार उदाहरण है कि किस तरह मीडिया और ग्लैमर की दुनिया कभी-कभी सच और झूठ को इतनी चालाकी से पेश करती है कि लोग भ्रमित हो जाते हैं। लेकिन इस घटना ने यह भी सिखाया कि हर खबर पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए।

निष्कर्ष

सिने ब्लिट्स का यह अप्रैल फूल प्रैंक भारतीय मनोरंजन जगत के इतिहास का हिस्सा बन गया। यह एक यादगार घटना है, जिसने यह दिखाया कि हास्य और मजाक का सही इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है।

श्रीदेवी और अनुपम खेर की इस अनोखी जोड़ी ने हमें न केवल हंसाया, बल्कि यह भी याद दिलाया कि कभी-कभी ज़िंदगी को हल्के-फुल्के अंदाज में लेना जरूरी है।


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