मणिपुर के जिरीबाम जिले में हिंसा की एक गंभीर घटना सामने आई है, जिसमें 11 नवंबर को कुछ हथियारबंद हमलावरों ने सीआरपीएफ कैंप पर हमला किया। इस संघर्ष में 11 हमलावर मारे गए, जबकि सीआरपीएफ के दो जवान घायल हुए। मारे गए लोगों की पहचान को लेकर स्थिति अस्पष्ट बनी हुई है, क्योंकि किसी उग्रवादी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। कहा जा रहा है कि ये कुकी समुदाय से संबंधित नहीं थे, बल्कि ये हमार समुदाय के स्वयंसेवक हो सकते हैं जिन्हें “विलेज वालंटियर्स” कहा जाता है।
जिरीबाम में हिंसा का इतिहास:
जिरीबाम, मणिपुर और असम की सीमा पर स्थित है और इसकी भौगोलिक स्थिति इसे सामरिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण बनाती है। असम के सिलचर से होकर गुजरने वाला नेशनल हाईवे 37 इंफाल तक जाता है, और इस रास्ते से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति होती है। इस क्षेत्र पर नियंत्रण को लेकर कुकी और मैते दोनों समुदायों के बीच संघर्ष बढ़ता जा रहा है। इस संघर्ष की जड़ें मई 2023 में शुरू हुईं जातीय हिंसा में हैं, जब मणिपुर में कुकी और मैते समुदायों के बीच तनाव बढ़ा।
हमले की वजह और घटनाक्रम:
9-10 नवंबर की रात को जिरीबाम में फायरिंग हुई, जिसमें हमार समुदाय की एक महिला की हत्या कर दी गई। इस हत्या के बदले के रूप में 11 नवंबर को सीआरपीएफ कैंप पर हमला हुआ। 12 नवंबर को एक और हिंसात्मक घटना में दो मैते पुरुषों के शव बरामद हुए, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें रिलीफ कैंप से अगवा किया गया था।
मणिपुर की यह स्थिति इस बात की ओर इशारा करती है कि यहां के समुदायों में आपसी समझ और शांति की कितनी जरूरत है। सीमा पर स्थित इस जिले में लगातार बढ़ते तनाव और संघर्ष के बीच केंद्रीय सुरक्षा बलों की मौजूदगी और भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
इस संघर्ष को केवल कानूनी और सुरक्षा स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी समझना जरूरी है।